नाट्य एक प्रयोग विज्ञान है जिसमें
नट स्वयं उपकरण भूत हो रस स्थापना के लिये प्रयत्न शील रहता है और इस कार्य में
करण अंगहार हस्तमुद्राएं एवं चारी विशेष उपयोगी हैं ।इस
विषय को केन्द्रित कर यह पुस्तक लिखी गयी है ।
लेखिका-डॉ.कल्पना द्विवेदी (असिस्टेण्ट प्रोफेसर, श्री
एकरसानन्द आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, मैनपुरी)
प्रकाशन-देववाणी
परिषद्, दिल्ली
प्रकाशन
वर्ष-2015
मूल्य
-250 रुपया
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