गुरुवार, 28 मई 2020

आधुनिक काव्यशास्त्र


आधुनिक काव्यशास्त्र

प्रो. रेवाप्रसाद द्विवेदी कृत                      काव्यालंकारकारिका,
प्रो. ब्रह्मानन्द शर्मा कृत                   काव्यसत्यालोक,
प्रो.शिवजी उपाध्याय कृत                  साहित्यसन्दर्भ,
प्रो.राधावल्लभ त्रिपाठी कृत                            अभिनवकाव्यालंकारसूत्रम्,
प्रो.अभिराज राजेन्द्र मिश्र कृत                   अभिराजयशोभूषणम्,
प्रो.रहस बिहारी द्विवेदी कृत                                 नव्यकाव्यतत्त्वमीमांसा,
प्रो.हर्षदेव माधव कृत                                  वागीश्वरीकण्ठसूत्रम्, 
प्रो. रमाशंकर तिवारी कृत                        काव्यतत्त्वविवेक, 
प्रो.विद्याराम कृत                              रसदीर्घिका, 
 प्रो.रामप्रताप वेदालंकार  कृत                                चमत्कारविचारचर्चा      ,
प्रो.(पंडित) जगन्नाथ पाठक,कृत                         सौन्दर्यकारिका  |


आद्युपपुराणम्





पद्मश्री बृजेश कुमार शुक्ल-

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के ग्राम तिलोकपुर में 1 अक्टूबर 1962 ई. को हुआ । इनके पिता का नाम पं.प्यारेलाल शुक्ल तथा माता का नाम श्रीमती चन्द्रकला शुक्ला था । सम्प्रति आप लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग और ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष कला संकाय के छात्र अधिष्ठाता एवं अभिनव गुप्त शोध संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक पद को अलंकृत कर रहे हैं ।

रचनाएँ-

1.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)

2.कृदन्त सूत्रावली

3.मध्यसिद्धान्तकौमुदी

4.श्रीमद्भार्गवोपपुराणम् अध्ययन एवं सम्पादन

5.सिद्धान्त शिरोमणि

6.शार्ङ्गधरसंहिता

7. अलङ्कारसार’-समीक्षण

8.श्रीप्रियलालजनकशतकम् (काव्यसंग्रह)

9.वाङ्मय-शुमेषी

10.गुञ्जन्मञ्जीरम्

11.ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना

12.उड्डामरेश्वरतन्त्रम्

13.अलङ्कारसार:

14आद्युपपुराणम्

15.शीघ्रबोध:

16.कर्म-कौमुदी

17.श्रुतबोध:

18.ध्वनिगाथापञ्चिका

19.पुराण-साहित्यादर्श:

20.शुकजातकम्

21.अलङ्कारमञ्जरी

22.अष्टावक्रगीता ।


अलङ्कारमञ्जरी





पद्मश्री बृजेश कुमार शुक्ल-

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के ग्राम तिलोकपुर में 1 अक्टूबर 1962 ई. को हुआ । इनके पिता का नाम पं.प्यारेलाल शुक्ल तथा माता का नाम श्रीमती चन्द्रकला शुक्ला था । सम्प्रति आप लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग और ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष कला संकाय के छात्र अधिष्ठाता एवं अभिनव गुप्त शोध संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक पद को अलंकृत कर रहे हैं ।

रचनाएँ-

1.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)

2.कृदन्त सूत्रावली

3.मध्यसिद्धान्तकौमुदी

4.श्रीमद्भार्गवोपपुराणम् अध्ययन एवं सम्पादन

5.सिद्धान्त शिरोमणि

6.शार्ङ्गधरसंहिता

7. अलङ्कारसार’-समीक्षण

8.श्रीप्रियलालजनकशतकम्‍ (काव्यसंग्रह)

9.वाङ्मय-शुमेषी

10.गुञ्जन्मञ्जीरम्

11.ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना

12.उड्डामरेश्वरतन्त्रम्

13.अलङ्कारसार:

14आद्युपपुराणम्‍

15.शीघ्रबोध:

16.कर्म-कौमुदी

17.श्रुतबोध:

18.ध्वनिगाथापञ्चिका

19.पुराण-साहित्यादर्श:

20.शुकजातकम्

21.अलङ्कारमञ्जरी

22.अष्टावक्रगीता ।


पुराण-साहित्यादर्श:




पद्मश्री बृजेश कुमार शुक्ल-

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के ग्राम तिलोकपुर में 1 अक्टूबर 1962 ई. को हुआ । इनके पिता का नाम पं.प्यारेलाल शुक्ल तथा माता का नाम श्रीमती चन्द्रकला शुक्ला था । सम्प्रति आप लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग और ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष कला संकाय के छात्र अधिष्ठाता एवं अभिनव गुप्त शोध संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक पद को अलंकृत कर रहे हैं ।

रचनाएँ-

1.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)

2.कृदन्त सूत्रावली

3.मध्यसिद्धान्तकौमुदी

4.श्रीमद्भार्गवोपपुराणम् अध्ययन एवं सम्पादन

5.सिद्धान्त शिरोमणि

6.शार्ङ्गधरसंहिता

7. अलङ्कारसार’-समीक्षण

8.श्रीप्रियलालजनकशतकम्‍ (काव्यसंग्रह)

9.वाङ्मय-शुमेषी

10.गुञ्जन्मञ्जीरम्

11.ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना

12.उड्डामरेश्वरतन्त्रम्

13.अलङ्कारसार:

14आद्युपपुराणम्‍

15.शीघ्रबोध:

16.कर्म-कौमुदी

17.श्रुतबोध:

18.ध्वनिगाथापञ्चिका

19.पुराण-साहित्यादर्श:

20.शुकजातकम्

21.अलङ्कारमञ्जरी

22.अष्टावक्रगीता ।


शुकजातकम्




पद्मश्री बृजेश कुमार शुक्ल-

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के ग्राम तिलोकपुर में 1 अक्टूबर 1962 ई. को हुआ । इनके पिता का नाम पं.प्यारेलाल शुक्ल तथा माता का नाम श्रीमती चन्द्रकला शुक्ला था । सम्प्रति आप लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग और ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष कला संकाय के छात्र अधिष्ठाता एवं अभिनव गुप्त शोध संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक पद को अलंकृत कर रहे हैं ।

रचनाएँ-

1.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)

2.कृदन्त सूत्रावली

3.मध्यसिद्धान्तकौमुदी

4.श्रीमद्भार्गवोपपुराणम् अध्ययन एवं सम्पादन

5.सिद्धान्त शिरोमणि

6.शार्ङ्गधरसंहिता

7. अलङ्कारसार’-समीक्षण

8.श्रीप्रियलालजनकशतकम्‍ (काव्यसंग्रह)

9.वाङ्मय-शुमेषी

10.गुञ्जन्मञ्जीरम्

11.ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना

12.उड्डामरेश्वरतन्त्रम्

13.अलङ्कारसार:

14आद्युपपुराणम्‍

15.शीघ्रबोध:

16.कर्म-कौमुदी

17.श्रुतबोध:

18.ध्वनिगाथापञ्चिका

19.पुराण-साहित्यादर्श:

20.शुकजातकम्

21.अलङ्कारमञ्जरी

22.अष्टावक्रगीता ।


शीघ्रबोध:




पद्मश्री बृजेश कुमार शुक्ल-

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के ग्राम तिलोकपुर में 1 अक्टूबर 1962 ई. को हुआ । इनके पिता का नाम पं.प्यारेलाल शुक्ल तथा माता का नाम श्रीमती चन्द्रकला शुक्ला था । सम्प्रति आप लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग और ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष कला संकाय के छात्र अधिष्ठाता एवं अभिनव गुप्त शोध संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक पद को अलंकृत कर रहे हैं ।

रचनाएँ-

1.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)

2.कृदन्त सूत्रावली

3.मध्यसिद्धान्तकौमुदी

4.श्रीमद्भार्गवोपपुराणम् अध्ययन एवं सम्पादन

5.सिद्धान्त शिरोमणि

6.शार्ङ्गधरसंहिता

7. अलङ्कारसार’-समीक्षण

8.श्रीप्रियलालजनकशतकम्‍ (काव्यसंग्रह)

9.वाङ्मय-शुमेषी

10.गुञ्जन्मञ्जीरम्

11.ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना

12.उड्डामरेश्वरतन्त्रम्

13.अलङ्कारसार:

14आद्युपपुराणम्‍

15.शीघ्रबोध:

16.कर्म-कौमुदी

17.श्रुतबोध:

18.ध्वनिगाथापञ्चिका

19.पुराण-साहित्यादर्श:

20.शुकजातकम्

21.अलङ्कारमञ्जरी

22.अष्टावक्रगीता ।


ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना




पद्मश्री बृजेश कुमार शुक्ल-

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के ग्राम तिलोकपुर में 1 अक्टूबर 1962 ई. को हुआ । इनके पिता का नाम पं.प्यारेलाल शुक्ल तथा माता का नाम श्रीमती चन्द्रकला शुक्ला था । सम्प्रति आप लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग और ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष कला संकाय के छात्र अधिष्ठाता एवं अभिनव गुप्त शोध संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक पद को अलंकृत कर रहे हैं ।

रचनाएँ-

1.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)

2.कृदन्त सूत्रावली

3.मध्यसिद्धान्तकौमुदी

4.श्रीमद्भार्गवोपपुराणम् अध्ययन एवं सम्पादन

5.सिद्धान्त शिरोमणि

6.शार्ङ्गधरसंहिता

7. अलङ्कारसार’-समीक्षण

8.श्रीप्रियलालजनकशतकम्‍ (काव्यसंग्रह)

9.वाङ्मय-शुमेषी

10.गुञ्जन्मञ्जीरम्

11.ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना

12.उड्डामरेश्वरतन्त्रम्

13.अलङ्कारसार:

14आद्युपपुराणम्

15.शीघ्रबोध:

16.कर्म-कौमुदी

17.श्रुतबोध:

18.ध्वनिगाथापञ्चिका

19.पुराण-साहित्यादर्श:

20.शुकजातकम्

21.अलङ्कारमञ्जरी

22.अष्टावक्रगीता ।


.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)





पद्मश्री बृजेश कुमार शुक्ल-

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के ग्राम तिलोकपुर में 1 अक्टूबर 1962 ई. को हुआ । इनके पिता का नाम पं.प्यारेलाल शुक्ल तथा माता का नाम श्रीमती चन्द्रकला शुक्ला था । सम्प्रति आप लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग और ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष कला संकाय के छात्र अधिष्ठाता एवं अभिनव गुप्त शोध संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक पद को अलंकृत कर रहे हैं ।

रचनाएँ-

1.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)

2.कृदन्त सूत्रावली

3.मध्यसिद्धान्तकौमुदी

4.श्रीमद्भार्गवोपपुराणम् अध्ययन एवं सम्पादन

5.सिद्धान्त शिरोमणि

6.शार्ङ्गधरसंहिता

7. अलङ्कारसार’-समीक्षण

8.श्रीप्रियलालजनकशतकम्‍ (काव्यसंग्रह)

9.वाङ्मय-शुमेषी

10.गुञ्जन्मञ्जीरम्

11.ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना

12.उड्डामरेश्वरतन्त्रम्

13.अलङ्कारसार:

14आद्युपपुराणम्

15.शीघ्रबोध:

16.कर्म-कौमुदी

17.श्रुतबोध:

18.ध्वनिगाथापञ्चिका

19.पुराण-साहित्यादर्श:

20.शुकजातकम्

21.अलङ्कारमञ्जरी

22.अष्टावक्रगीता ।


श्रीप्रियलालजनकशतकम् (काव्यसंग्रह)




  पद्मश्री बृजेश कुमार शुक्ल

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के ग्राम तिलोकपुर में 1 अक्टूबर 1962 ई. को हुआ । इनके पिता का नाम पं.प्यारेलाल शुक्ल तथा माता का नाम श्रीमती चन्द्रकला शुक्ला था । सम्प्रति आप लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग और ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष कला संकाय के छात्र अधिष्ठाता एवं अभिनव गुप्त शोध संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक पद को अलंकृत कर रहे हैं ।
रचनाएँ-
1.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)
2.कृदन्त सूत्रावली
3.मध्यसिद्धान्तकौमुदी
4.श्रीमद्भार्गवोपपुराणम् अध्ययन एवं सम्पादन
5.सिद्धान्त शिरोमणि
6.शार्ङ्गधरसंहिता
7. अलङ्कारसार’-समीक्षण
8.श्रीप्रियलालजनकशतकम्‍ (काव्यसंग्रह)
9.वाङ्मय-शुमेषी
10.गुञ्जन्मञ्जीरम्
11.ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना
12.उड्डामरेश्वरतन्त्रम्
13.अलङ्कारसार:
14आद्युपपुराणम्
15.शीघ्रबोध:
16.कर्म-कौमुदी
17.श्रुतबोध:
18.ध्वनिगाथापञ्चिका
19.पुराण-साहित्यादर्श:
20.शुकजातकम्
21.अलङ्कारमञ्जरी
22.अष्टावक्रगीता ।

वाङ्मय-शुमेषी




                                                    
                                                 पद्मश्री बृजेश कुमार शुक्ल

इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के ग्राम तिलोकपुर में 1 अक्टूबर 1962 ई. को हुआ । इनके पिता का नाम पं.प्यारेलाल शुक्ल तथा माता का नाम श्रीमती चन्द्रकला शुक्ला था । सम्प्रति आप लखनऊ विश्वविद्यालय में संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग और ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष कला संकाय के छात्र अधिष्ठाता एवं अभिनव गुप्त शोध संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय के निदेशक पद को अलंकृत कर रहे हैं ।
रचनाएँ-
1.श्रुतिमञ्जरी (काव्यसंग्रह)
2.कृदन्त सूत्रावली
3.मध्यसिद्धान्तकौमुदी
4.श्रीमद्भार्गवोपपुराणम् अध्ययन एवं सम्पादन
5.सिद्धान्त शिरोमणि
6.शार्ङ्गधरसंहिता
7. अलङ्कारसार’-समीक्षण
8.श्रीप्रियलालजनकशतकम्‍ (काव्यसंग्रह)
9.वाङ्मय-शुमेषी
10.गुञ्जन्मञ्जीरम्
11.ज्योतिर्विज्ञान-सन्दर्भसमालोचना
12.उड्डामरेश्वरतन्त्रम्
13.अलङ्कारसार:
14आद्युपपुराणम्
15.शीघ्रबोध:
16.कर्म-कौमुदी
17.श्रुतबोध:
18.ध्वनिगाथापञ्चिका
19.पुराण-साहित्यादर्श:
20.शुकजातकम्
21.अलङ्कारमञ्जरी
22.अष्टावक्रगीता ।

मंगलवार, 26 मई 2020

आधुनिक संस्कृत साहित्य : विविध आयाम


 आधुनिक संस्कृत साहित्य से परिचित कराता एक अनुपम निबन्ध संग्रह






संस्कृत हमारी सांस्कृतिक भाषा है, क्योंकि संस्कृत में ही हमारी संस्कृति और सभ्यता निहित है | संस्कृत साहित्य अगाध और विशाल है, जिसमें विश्व का कोई भी विषय अछूता नहीं रहा है | विश्व के समस्त विषय संस्कृत में वर्णित हैं, यथा- भूगोल, खगोल, विज्ञान, इतिहास, साहित्य, संगीत, कला, गणित, आयुर्वेद, ज्योतिष, रसायन, अर्थशास्त्र, राजनीति, कूटनीति आदि अनेक विषयों का संकलन संस्कृत में पाया जाता है |संस्कृत-साहित्य का अपना स्वरूप और अपना इतिहास है | यह सुदीर्घकाल से बहती हुई अलकनंदा है जिसमें सजीवता और झंकृति है, यह तरंगायित है और सहृदयों के तारों को कंपन किये बिना नहीं रहती है | 
इस पुस्तक  “आधुनिक संस्कृत साहित्य : विविध आयाम ” में कुल 32 शोधपत्र सम्मिलित हैं जिसमें संस्कृत साहित्य के समकालीन रचनाकारों के संस्कृत साहित्य में योगदान पर प्रकाश डाला गया है |
1.संस्कृत पत्र-पत्रिकाओं का परिचय और वैशिष्ट्य                                                       
2.आधुनिक संस्कृत-साहित्य में स्त्री-विमर्श                                                             
3.डॉ.पुष्पा दीक्षित के काव्यों में संस्कार तत्त्व                                                            
4.जल ही जीवन है : ‘रक्षत गंगाम्’ महाकाव्य के आलोक में                                        
5.डॉ. (श्रीमती) महाश्वेता चतुर्वेदी की रचनाधर्मिता                                                     
6.डॉ. आभा झा की नाट्यगत विशेषतायें                                                                   
7.‘वज्रमणि:उपन्यास में नारी-चेतना                                                                       
8.‘संस्कृत -गीतमालिका’  काव्य में संगीत कला                                                       
                               
9.आधुनिक संस्कृत कविता और संस्कृतेतर शब्द                                                     
10.डॉ. कमला पाण्डेय की रचनाओं में छन्द-विधान                                                  
11.आधुनिक संस्कृत वाङ्मय में जीवनचरित्र-परक साहित्य                                            
(पण्डिता क्षमाराव के काव्यों के विशेष सन्दर्भ में )
12. अर्वाचीन संस्कृत साहित्य में डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्रा का अवदान                     
13.आधुनिक संस्कृत-वाड़्मय में उ.प्र.की महिलाओं की भूमिका                                 
14.आधुनिक संस्कृत कविता और नारीवाद                                                          
15.आधुनिक संस्कृत कविताओं में माँ                                                                 
16.आधुनिक संस्कृत काव्यों में निरूपित विदेशी छन्द                                             
17.आधुनिक संस्कृत काव्यों में निहित भारतीय संस्कृति                                           
18.आधुनिक संस्कृत-काव्यों  में राष्ट्रीय-चेतना                                                      
(कवयित्रियों के विशेष सन्दर्भ में)
19.आधुनिक संस्कृत साहित्य और लोकगीत परम्परा                                              
20.आधुनिक संस्कृत साहित्य में विदेशी  विद्वानों का योगदान                                   
21.आधुनिक संस्कृत-कथाओं में निरूपित सामाजिक-समस्यायें                                
 22.जिजीविषा कथा संग्रह में वर्णित सामाजिक-समस्यायें                                     
23.डॉ.नलिनी शुक्ला के काव्य में काव्य तत्त्व विमर्श                                                
24.संस्कृत नाट्य परम्परा में डॉ. मीरा द्विवेदी का अवदान                                       
25.आधुनिक संस्कृत काव्य और विदेशजवाद                                                     
26.वैश्वीकरण के युग में संस्कृत भाषा का योगदान                                                  
27.संस्कृत साहित्य में नेपाली विद्वानों का योगदान                                                 
28. संस्कृत-पत्रकारिता में महिलाओं की भूमिका                                                   
 29. ‘मनोऽनुरञ्जिनी’ काव्यसंग्रह में वर्णित में नारी-सौन्दर्य                                      
30.‘कस्य निमित्तम्’ नाटक में जन-कल्याण की भावना                                           
31. आधुनिक संस्कृत साहित्य में डॉ. नवलता का योगदान                                      
32.काव्य- वैविध्य की कवयित्री : पण्डिता क्षमाराव       
   अरुण जी की इस नयी पुस्तक के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं । वह इसी प्रकार लिखते-पढते रहें और साहित्य सेवा करते रहें ।                                

यह पुस्तक अमेजन पर उपलब्ध है। 
https://www.amazon.in/dp/1648690769/ref=cm_sw_r_wa_awdo_t1_OA6CEbF6NTC4D

समीक्षक – काली सहाय
पुस्तक-आधुनिक संस्कृत साहित्य : विविध आयाम
लेखक-डॉ.अरुण कुमार निषाद
प्रकाशन-नोशन प्रकाशन चेन्नई ।
प्रथम संस्करण- मार्च 2020
मूल्य-665 रुपया
पृष्ठ-427।