सोमवार, 20 मार्च 2023

'समरक्षेत्रम्’ (आधुनिक संस्कृत काव्यसंग्रह) प्रणेता- डॉ.कौशल तिवारी

अनुभव के धरातल से प्रस्फुटित कविताएँ : समरक्षेत्रम्

समीक्षक- डॉ. अरुण कुमार निषाद

कृति-  'समरक्षेत्रम्

(आधुनिक संस्कृत काव्यसंग्रह)

प्रणेता- डॉ.कौशल तिवारी  

प्रथम संस्करण- 2013 ई.

मूल्य- रु. 50/-पृष्ठ- 90

प्रकाशक- हंसा प्रकाशन राजस्थान

 

 



समकालीन संस्कृत साहित्य में डॉ.कौशल तिवारी एक जाना पहचाना नाम है । वे जितना एक कवि एवं कहानीकार के रुप में प्रसिद्ध हैं उतना ही आलोचक के रुप में भी । समरक्षेत्रम्‍ के पहले इनकी दो कृतियाँ गुलिका और द्विपथम्‍ प्रकाशित हो चुकी हैं । इस संग्रह में कुछ मुक्त छन्‍द की कविताएँ हैं तो कुछ विदेशी छन्‍द (हायकूतांका आदि) और संस्कृत ग़ज़लें भी हैं । एक नए छन्‍द त्रिपदिका का भी दर्शन इस संग्रह होता है ।   


कौशल तिवारी अपनी कुछ कविताओं में तो एक दार्शनिक की तरह दिखाई देते है ।

1.मार्गों

न गच्छति कुत्रापि ।

2.नदी यदा प्रवहति

सैव केवलं न प्रवहति

प्रवहति तया साकं

समयोऽपि ।

3.बाल्यकाले क्रीडितामया

पुत्तलिकाक्रीडा

इदानीमहमपि पुत्तलिकाभूता ।

समरक्षेत्रेकविता में वे लिखते हैं कि यह दुनिया एक समरक्षेत्र है और उस उस समरक्षेत्र में मैं अकेला हूँ।

अन्धतमसम्

एकलोऽहं

नैके ते

समरक्षेत्रम् ।

तो कहीं-कहीं वे प्रणयी कवि के रुप में भी नजर आते हैं । 

1.न जानेऽहम्

उष्णतम: प्रदेश कोऽस्ति

किन्‍तु जाने

त्व प्रणयस्योष्णताम्‍ ।

2.प्रणयसमये

स्पृष्ट्‍वाऽधरं

त्वां मदिरायसे ।

3.त्वमसि

ममैव गङ्गा

स्नात्वा स्नात्वा

तव प्रणयनीरे

पवित्रो भवामि ।

संस्कृत ग़ज़लों में आधुनिक सोच रखने वाले कवि डॉ.कौशल तिवारी की ग़ज़लें रदीफ़ और काफ़िया की दृष्टि से उच्चकोटि की हैं ।

1.स्ममरणं ते मत्कृते प्रणायते।

मौनमपि मत्कृते शब्दायते ।।

रिक्‍तो भवति चषको यदा यदा

तवाधरो मत्कृते मदिरायते।।

2.यया कदाचित् प्रणयः कृतः

तस्या: करेऽद्य शस्‍त्रं दृष्टम् ।।

 

इस काव्य की भाषा बहुत ही सरस तथा सरल है । दीर्घ समासयुक्त पदों का सर्वथा अभाव है । कवि की छन्द प्रयोग में सम्यक्‍ गति है । सूक्ष्म अभिव्यक्ति वस्तुतः चिंतन की गहनता से उद्भूत होती है, तिवारी जी की प्रत्येक रचना में यह है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ छोटी एवं संवादात्मक हैं, जो अपने इसी कलेवर में पाठक पर स्थायी प्रभाव छोड़ती हैं। सब मिलाकर यह एक पठनीय काव्य है ।  इस नई रचना के लिए लेखक को अशेष मंगलकामनाएँ ।

 


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