गुरुवार, 14 मार्च 2024

तदेव गगनं सैव धरा (आचार्य श्री निवास रथ)

 जीवनगतिरनुदिनमपरा

तदेव गगनं सैव धरा।।
पापपुण्यविधुरा धरणीयं
कर्मफलं भवतादरणीयम्।
नैतद्-वचोऽधुना रमणीयं 
तथापि सदसद्-विवेचनीयम्।।
मतिरतिविकला
सीदति विफला
सकला परम्परा। तदेव..........................




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