मंगलवार, 19 मई 2020

महाकवि कालिदास और उनकी जीवन-दृष्टि परक सूक्तियां




प्रत्येक मनुष्य का दुनिया को देखने का अपना नजरिया होता है ।कोई भी दो व्यक्ति एक ही वस्तु को एक ही समान दृष्टिकोण से देखें यह जरूरी नहीं ।समय और परिस्थितियों के अनुरूप व्यक्ति हर चीज का मूल्यांकन अपनी नजरों से करता है। यही जीवन को देखने की दृष्टि, उसका अनुभव ही उसका जीवन- दर्शन कहलाता है।
कविकुलगुरु महाकवि कालिदास ने भी अपने जीवन में जो कुछ देखा, जाना, समझा उसे अपनी कृतियों का वर्ण्य विषय बनाया, जो सूक्तियों के रूप में उनकी रचनाओं में दृष्टिगोचर होता है।
                                                                  


संस्कृत जीवन चानन महिला महाविद्यालय असंध करनाल हरियाणा की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कमलेश ने कालिदास की इन्हीं सूक्तियों पर अपनी यह पुस्तक लिखी है ।

                                             

इस पुस्तक में 7 अध्याय हैं।
1.विषय प्रवेश
2.समाज, संगठन, परिवार एवं नारी सम्बन्धी सूक्तियों में जीवन-दृष्टि
3.धार्मिक धारणाएं एवं विश्वास व राजनीतिक विषयक सम्बन्धी सूक्तियों में जीवन-दृष्टि
4. मानव स्वभाव व व्यवहार एवं नीति सम्बन्धी सूक्तियों में जीवन-दृष्टि
5. माननीय गुण, स्वभाव व निंदनीय दोष सम्बन्धी सूक्तियों में जीवन-दृष्टि
6.प्रेम एवं सौंदर्य व विविध सूक्तियों में जीवन-दृष्टि 
7.उपसंहार




समीक्षक-डॉ.अरुण कुमार निषाद
पुस्तक-कालिदास कृत सूक्तियां
(जीवन-दृष्टि के सन्दर्भ में) ,
 लेखिका-डॉ.कमलेश
प्रकाशन- विद्यानिधि प्रकाशन दिल्ली
संस्करण-प्रथम संस्करण 2020 ई. 
 पृष्ठ संख्या- 270
मूल्य-795 रुपया

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें