मंगलवार, 31 मई 2016

संस्कृत-साहित्य के अमर -प्रेमाख्यान

संस्कृत - साहित्य के अमर- प्रेमाख्यान
१कुरंगी:अविमारक...भासकृत अभिमारकम्
२.उदयन-वासवदत्ता...स्वप्नवासवदत्ता
३.मालविका-अग्निमित्रम्...मालविकाग्निमत्रम्
४.पुरुरवा-उर्वशी....विक्रमोर्शीयम्
५.मालती-माधव....
चारुदत्त-बसंतसेना
७.जीमूतवाहन-मलयवती..

प्रमुख भारतीय भाष्यकार

प्राचीन काल से ही विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से मन्त्रों की व्याख्या की.टीकायें तथा उन पर भाष्य लिखे. प्रमुख भारतीय भाष्यकार हैं-
१.यास्क
२.स्कन्दस्वामी
३.वेंकटमाधव
४.आनन्दतीर्थ
५.आत्मानन्द
६.महीधर
७.उव्वट
८.हलायुध
९.रावण
१०.देवस्वामी
११.माधव
१२.सायण
१३.दयानन्द
१४.पं.दामोदर सातवलेकर
१५.जयदेव विद्यालंकार
१६.सत्यव्रत सामश्रमी
१७.भगवद्दत्त वेदालंकार आदि.

सोमवार, 30 मई 2016

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय : एक परिचय

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के वाराणसी नगर में स्थित एक संस्कृत विश्वविद्यालय है। यह पूर्वात्य शिक्षा एवं संस्कृत से सम्बन्धित विषयों पर उच्च शिक्षा का केन्द्र है।
यह विश्वविद्यालय मूलतः 'शासकीय संस्कृत महाविद्यालय' था जिसकी स्थापना सन् १७९१ में की गई थी। वर्ष 1894 में सरस्वती भवन ग्रंथालय नामक प्रसिद्ध भवन का निर्माण हुआ जिसमें हजारों पाण्डुलिपियाँ संगृहीत हैं। 22 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ सम्पूर्णानन्द के विशेष प्रयत्न से इसे विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया। उस समय इसका नाम 'वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय' था। सन् १९७४ में इसका नाम बदलकर 'सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय' रख दिया गया।
भारत और नेपाल के महाविद्यालय इसके विश्वविद्यालय बनने के पहले से ही इससे सम्बद्ध थे। केवल उत्तर प्रदेश के सम्बद्ध महाविद्यालयों की संख्या 1441 थी। इस प्रकार यह संस्थान न केवल भारत के लिए बल्कि दूसरे देशों के महाविद्यालयों के लिए भी विश्वविद्यालय के समान ही था।
• वेद-वेदांग विभाग
• वेद विभाग
• व्याकरण विभाग
• ज्योतिष विभाग
• धर्मशास्त्र विभाग
• साहित्य संस्कृति विभाग
• साहित्य विभाग
• पुराणेतिहास विभाग
• प्राचीन राजशास्त्रर्थशास्त्र विभाग
• दर्शन विभाग
• वेदान्त विभाग
• सांख्ययोगतंत्रम् विभाग
• तुलनात्मक धर्म एवं दर्शन विभाग
• न्याय विभाग
• मीमांसा विभाग
• श्रमण विद्या विभाग
• पालि एवं थेवद विभाग
• आधुनिक ज्ञान-विज्ञान विभाग
• आधुनिक भाषा एवं भाषाविज्ञान विभाग
• आयुर्वेद विभाग
• कायचिकित्सा तंत्र
• शाल्य तंत्र (सर्जरी)
• शालक्य तंत्र
• कौमारभृत्य तंत्र
• अगद तंत्र (टॉक्सिकोलोजी)
• बाजीकरण तंत्र (Purification of the Genetic organs)
• रसायन तंत्र
• भूत विद्या विभाग (Spiritual Healing) की स्थापना प्रस्तावित है।
सम्बद्ध महाविद्यालय
इस विश्वविद्यालय के साथ १२०० से अधिक संस्कृत विद्यालय एवं महाविद्यालय संबद्ध हैं।

दहेज प्रथा और आधुनिक संस्कृत कथा

आधुनिक संस्कृत कथाकार ने अपनी कथाओं में दहेज की समस्या को भी अन्य समस्याओं की तरह स्थान दिया है.जैसे-डॉ.वनमाली विश्वाल की बलिदान.डॉ.नलिनी शुक्ला की यौतुकाभिशप्ता.डॉ.प्रभुनाथ द्विवेदी की यौतुक यौतुकम् और सुकन्या आदि.

काव्य लक्षण

काव्य कला का वह सर्वोत्कृष्ट रुप है.जो जीवन को सौन्दर्यात्मक एवं गत्यात्मक बनाता है . यह (काव्य) वह औषधि है जो बड़े-२ रोगों को सहजता से दूर करने में सक्षम है. इस काव्य में इतनी शक्ति है कि मानव तो मानव पशु -पक्षी और देवता भी इसके वश में अर्थात् अधीन हो जाते हैं.
अग्निपुराण के अनुसार-"संक्षेपाद्वाक्यमिष्टार्थव्यवछिन्ना पदावली
काव्यं स्फुरदलंकारं गुणवद् दोषवर्जितम्".

भोज के अनुसार-" अदोषं गुणवद् काव्यमलंकारैरलंकृतम्
रसान्वितं कवि: कुर्वन् कीर्तिं प्रीति च विन्दति".
भामह के अनुसार-" शब्दार्थौ सहितौ काव्य".
कुन्तक के अनुसार-"वक्रोक्ति काव्यजीवितम्"
दण्डी के अनुसार-" शरीरं तावदिष्टार्थव्यवच्छिन्ना पदावली".
वामन के अनुसार-" रीतिरात्मा काव्यस्य
विशिष्टपदरचना रीति.विशेषोगुण आत्मा."
आनन्दवर्धन के अनुसार-" ध्वनिरात्मा काव्यस्य".
पण्डिराज जगन्नाथ के अनुसार-" रमणीयार्थ- प्रतिपादक: काव्यम्".
मम्मट के अनुसार-"तददौषौ शब्दार्थौ सगुणावनलंकृती पुन: क्वापि".
विश्वनाथ के अनुसार-"काव्यं रसात्मकं काव्यं".