मंगलवार, 21 अक्टूबर 2014

 मेरे दोस्त तुझको ये क्या हो गया। 
तेरा रुख़ कितना       बदल है गया।।

वफ़ा मैंने   की  है  वफ़ा   चाहता हूँ।
न   जाने    तू  क्यों  बेवफा  हो गया..

बदल सी  गयी  तेरी  नजरें हैं दिलवर।
तेरा कोई और हमसफ़र  हो  गया।।

मुहब्बत का मुझको सिला ये मिला है। 
मेरा प्यार  ही  अब सज़ा   हो      गया।।

'अरुण ' जाने क्यों वो बदल से गए हैं। 
मेरा  दर्द   उनका   मजा  हो   गया है. 

अरुण की ग़ज़लें

तुम भले ही  भुला  दोगी   मुझको 
मैं  तुम्हें  तो   भुला    ना  सकूंगा।

तुम भले ही  रुला   दोगी    मुझको 
मैं   तुम्हें   तो    रुला  ना  सकूंगा।  

तुम    भले    ही   करो      बेवफाई 
मैं तो   हरदम   वफ़ा  ही   करूंगा।

चाहे जितना सता  लो तुम मुझको 
मैं   तुम्हें    तो   सता  ना  सकूंगा।

जो  पिला  दे तू  नज़रो  से  अपनी 

'अरुण' तेरा   रिन्द  होकर  रहूंगा।   

गुरुवार, 28 अगस्त 2014

आज हमारे समाज से लोक संगीत खत्म सा हो गया है। अब त्यौहारों और धार्मिक आयोजनों  पर  गये जाने वाले  पारम्परिक लोकगीत  सुनाई नहीं देती।  उनकी जगह फ़िल्मी गीतों को बजाया  जा रहा है। आज किसी नवयुवती से कोई पारम्परिक गीत सुनिये तो वह शायद ही सुना पाये।  आज से कुछ साल पहले हमारी दादी ओ -नानीओं  के पास इस तरह के गीतों का खजाना होता था जो धीरे -२ विलुप्त होता जा रहा है। हमारे सोलह संस्कारों में अब कुछ ही मनाये जाते हैं। पाश्चात्य संस्कृति का अन्धा अनुकरण करने वाली हमारी युवा पीढ़ी  का मानना है की इस तरह के तीज -त्यौहारों का आयोजन पिछड़ेपन की निशानी है। कुछ वर्ष पहले गाँव में जो प्रेम और भाई चारा दिखता था। वह धीरे -२ समाप्त होता जा रहा है।  लोग अब घर -२ जाकर बधाई नहीं देते। वह मेल और मैसेज से बधाई देने लगे हैं। 

मंगलवार, 26 अगस्त 2014

 मेरे दोस्त तुझको ये क्या हो गया। 
तेरा रुख़ कितना       बदल है गया।।

वफ़ा मैंने   की  है  वफ़ा   चाहता हूँ।
न   जाने    तू  क्यों  बेवफा  हो गया..

बदल सी  गयी  तेरी  नजरें हैं दिलवर।
तेरा कोई और हमसफ़र  हो  गया।।

मुहब्बत का मुझको सिला ये मिला है। 
मेरा प्यार  ही  अब सज़ा   हो      गया।।

'अरुण ' जाने क्यों वो बदल से गए हैं। 
मेरा  दर्द   उनका   मजा  हो   गया है.    

                                     अरुण निषाद ,सुलतानपुर। 
                                     शोध छात्र 
                                     लखनऊ विश्वविद्यालय ,लखनऊ। 
                                    ७७ ,बीरबल साहनी शोध छात्रावास ,
                                    लखनऊ विश्वविद्यालय ,लखनऊ। 
                                   मो.9454067032