अकबर का संस्कृत प्रेम
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फारसी भाषा की तरह अकबर को अन्य भाषाओं से भी प्रेम था वह संस्कृत भाषा का भी बहुत बड़ा प्रेमी था उसने अपने दरबार में अनेक संस्कृत विद्वान रखें और उनसे उसने संस्कृत के ग्रंथों का फारसी भाषा में अनुवाद कराया वह बहुत ही अध्ययनशील व्यक्ति था।
सन १५८७-८८ ई. में अबुल फजल ने पंचतंत्र का "ऐयारेदानिश" नाम से फारसी भाषा में अनुवाद किया।
भास्कराचार्य द्वारा लिखित अंकगणित का फारसी अनुवाद है फैजी ने किया।
सिंहासन बत्तीसी का अनुवाद "नामये-खिरद अफजा" नाम से बदायूंनी ने किया।
बदायूंनी ने रामायण, महाभारत और अथर्ववेद का भी अनुवाद किया।
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फारसी भाषा की तरह अकबर को अन्य भाषाओं से भी प्रेम था वह संस्कृत भाषा का भी बहुत बड़ा प्रेमी था उसने अपने दरबार में अनेक संस्कृत विद्वान रखें और उनसे उसने संस्कृत के ग्रंथों का फारसी भाषा में अनुवाद कराया वह बहुत ही अध्ययनशील व्यक्ति था।
सन १५८७-८८ ई. में अबुल फजल ने पंचतंत्र का "ऐयारेदानिश" नाम से फारसी भाषा में अनुवाद किया।
भास्कराचार्य द्वारा लिखित अंकगणित का फारसी अनुवाद है फैजी ने किया।
सिंहासन बत्तीसी का अनुवाद "नामये-खिरद अफजा" नाम से बदायूंनी ने किया।
बदायूंनी ने रामायण, महाभारत और अथर्ववेद का भी अनुवाद किया।
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