अर्थवद् अधातुर अप्रत्यय: प्रातिपदिकम्
(धातुं प्रत्ययं प्रत्ययान्तं च वर्जयित्वा अर्थवच्छब्दस्वरूपं प्रातिपदिकसंज्ञं स्यात् |)
अर्थात् वह अर्थवान् सार्थक शब्द जो न धातु हो, न प्रत्यय हो और न ही प्रत्यान्त हो, उसे प्रातिपदिक संज्ञा कहा जाता है |
कृत्ततद्धितसमासाश्च
(कृत्तद्धितान्तौ समासाश्च तथा स्यु: )
कृत् अर्थात् धातु में जोड़े जाने वाले प्रत्यय (कृदन्त), शब्द में जोड़े जाने वाले प्रत्यय तद्धित (तद्धितान्त) और समास की भी प्रातिपदिक संज्ञा होती है |
(धातुं प्रत्ययं प्रत्ययान्तं च वर्जयित्वा अर्थवच्छब्दस्वरूपं प्रातिपदिकसंज्ञं स्यात् |)
अर्थात् वह अर्थवान् सार्थक शब्द जो न धातु हो, न प्रत्यय हो और न ही प्रत्यान्त हो, उसे प्रातिपदिक संज्ञा कहा जाता है |
कृत्ततद्धितसमासाश्च
(कृत्तद्धितान्तौ समासाश्च तथा स्यु: )
कृत् अर्थात् धातु में जोड़े जाने वाले प्रत्यय (कृदन्त), शब्द में जोड़े जाने वाले प्रत्यय तद्धित (तद्धितान्त) और समास की भी प्रातिपदिक संज्ञा होती है |
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