23 सितम्बर 1934 में लब्धजन्मा, सन् 2000 में प्राप्त-राष्ट्रपतिसम्मान पं.मोहनलाल शर्मा पाण्डेय ने लगभग 20 ग्रन्थों की रचना की तथा आपको राष्ट्रीयस्तर ‘श्रीवाणीअलंकरण’ जैसे एवं राज्यस्तर पर राजस्थान सरकार का सर्वोच्च ‘संस्कृत साधना शिखर सम्मान’ जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
1) दो उपन्यास >>> रसकपूरम् तथा पद्मिनी। प्रौढ बाणभट्ट सदृश शैली में लिखे गये संस्कृत उपन्यास ‘ पद्मिनी ‘ पर आपको ‘अखिल भारतीय पुरस्कार सन् 2000, वाचस्पति-पुरस्कार सन् 2002, श्रीवाणीअलंकरण सन् 2009, का सम्मान प्राप्त हुआ। इस उपन्यास को पढ़ने के बाद राष्ट्रपति-सम्मानित आचार्य (डॉ.) रेवाप्रसाद द्विवेदी ने पत्र प्रेषित करते हुए अपने उद्गार यों प्रकट किये >> ------ पद्मिनीकवीश्वराय प्रतिनवबाणभट्टाय पं.मोहनलाल शर्मणे पाण्डेयाय प्रणतिः। राष्ट्रपति-सम्मानित डॉ. हरिराम आचार्य ने ‘पद्मिनी’ उपन्यास की शैली को ‘मारवाणी’ नामक नवीन शैली कहा है >>> ----- न प्राचीना काव्यशास्त्रोक्ता ‘पाञ्चाली’ अपितु नवीना प्रसादगुणविभूषिता मरुधरोत्था मनोरमा ‘मारवाणी’ शैलीति कथयितुं शक्यते।
2) दो काव्य >> पत्रदूतम् तथा नतितति। ईराक के खाड़ी युद्ध पर रचित पत्रदूतम् पर महाकवि माघ-पुरस्कार वर्ष 1992-93 .। ‘नतितति’ वर्णैकप्रधान मुक्तकचित्रकाव्य।
3) अन्य काव्य >>> संस्कृतकाव्यकौमुदी, समस्यासौहित्यम् आदि।
4) आशुकवि पं.नित्यानन्द शास्त्री द्वारा 14 सर्गों में विरचित ‘श्रीरामचरिताब्धिरत्नम्’ महाचित्रकाव्य की रत्नप्रभा नामक हिन्दी अनुवाद।
5) कर्मकाण्ड के ग्रन्थ >> चतुर्वेदोक्तग्रहशान्तिः , विशिष्टव्रतोद्यापनविधिः,संस्कार-सोपान, श्रीरामपूजा-पद्धतिः,श्रीकृष्णपूजापद्धतिः,श्रीशिवपूजापद्धतिः आदि।
राष्ट्रपति-सम्मानित पं. मोहनलाल शर्मा पाण्डेय का जन्म 23 सितम्बर 1934 को जयपुर (राजस्थान) के गलता तीर्थ के महन्त परिवार के पुरोहित वंश में पं. दुर्गालाल जोशी के पुत्ररूप में हुआ। प्रसिद्ध मीमांसक पं. पट्टाभिराम शास्त्री, श्री गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी , श्री जगदीश शर्मा साहित्याचार्य, आशुकवि हरिशास्त्री जैसे प्रसिद्ध विद्वानों के सान्निध्य में साहित्यशास्त्र में शास्त्री एवं आचार्य की उपाधि प्राप्त की। संस्कृत शिक्षा,राजस्थान सरकार में प्राध्यापक बन प्राचार्य पद से 30 सितम्बर 1992 को सेवा-निवृत्त हुए ।
पं. श्री रामकृष्ण चतुर्वेदी तथा पं. श्री ग्यारसीलाल वेदाचार्य से कर्मकाण्ड एवं पौरोहित्य की शिक्षा दीक्षा प्राप्त कर अष्टोत्तरशत-कुण्डीय जैसे लगभग 35 यज्ञों का आचार्यत्व सम्पादन किया।
पं.मोहनलाल शर्मा पाण्डेय का संस्कृत उपन्यास " पद्मिनी " चार विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर (M.A.)पाठ्यक्रम संस्कृत विषय के लिए निर्धारित है। दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली,लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ,राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर तथा महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर।
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जवाब देंहटाएंपद्मिनी। प्रौढ बाणभट्ट सदृश शैली में लिखे गये संस्कृत उपन्यास ‘ पद्मिनी ‘ पर आपको ‘अखिल भारतीय पुरस्कार सन् 2000, वाचस्पति-पुरस्कार सन् 2002, श्रीवाणीअलंकरण सन् 2009, का सम्मान प्राप्त हुआ। इस उपन्यास को पढ़ने के बाद राष्ट्रपति-सम्मानित आचार्य (डॉ.) रेवाप्रसाद द्विवेदी ने पत्र प्रेषित करते हुए अपने उद्गार यों प्रकट किये >> ------ पद्मिनीकवीश्वराय प्रतिनवबाणभट्टाय पं.मोहनलाल शर्मणे पाण्डेयाय प्रणतिः। राष्ट्रपति-सम्मानित डॉ. हरिराम आचार्य ने ‘पद्मिनी’ उपन्यास की शैली को ‘मारवाणी’ नामक नवीन शैली कहा है >>> ----- न प्राचीना काव्यशास्त्रोक्ता ‘पाञ्चाली’ अपितु नवीना प्रसादगुणविभूषिता मरुधरोत्था मनोरमा ‘मारवाणी’ शैलीति कथयितुं शक्यते।
जवाब देंहटाएंपद्मिनी। प्रौढ बाणभट्ट सदृश शैली में लिखे गये संस्कृत उपन्यास ‘ पद्मिनी ‘ पर आपको ‘अखिल भारतीय पुरस्कार सन् 2000, वाचस्पति-पुरस्कार सन् 2002, श्रीवाणीअलंकरण सन् 2009, का सम्मान प्राप्त हुआ। इस उपन्यास को पढ़ने के बाद राष्ट्रपति-सम्मानित आचार्य (डॉ.) रेवाप्रसाद द्विवेदी ने पत्र प्रेषित करते हुए अपने उद्गार यों प्रकट किये >> ------ पद्मिनीकवीश्वराय प्रतिनवबाणभट्टाय पं.मोहनलाल शर्मणे पाण्डेयाय प्रणतिः। राष्ट्रपति-सम्मानित डॉ. हरिराम आचार्य ने ‘पद्मिनी’ उपन्यास की शैली को ‘मारवाणी’ नामक नवीन शैली कहा है >>> ----- न प्राचीना काव्यशास्त्रोक्ता ‘पाञ्चाली’ अपितु नवीना प्रसादगुणविभूषिता मरुधरोत्था मनोरमा ‘मारवाणी’ शैलीति कथयितुं शक्यते।
जवाब देंहटाएंपद्मिनी उपन्यास का संक्षिप्त परिचय देने की कृपा करें।ये पुस्तक कैसे प्राप्त हो सकती है।
जवाब देंहटाएंडॉ सतीश प्रताप सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत विभाग कमला नेहरू पी जी कॉलेज रायबरेली
पं. मोहनलाल शर्मा पाण्डेय का तथा उनके ग्रन्थों का विवरण विकिपीडिया पर उपलब्ध है
हटाएंकथा पारिजात पं मोहनलाल शर्मा पाण्डेय का विवरण प्रदान करे।
जवाब देंहटाएंपद्मिनि संस्कृत उपन्यास है। कथा संग्रह नहीं। इनका तथा इनके ग्रन्थों का विवरण विकिपीडिया पर उपलब्ध है
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