गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

वैश्विकी रामकथा

 

वैश्विक महानायक हैं भगवान् राम

समीक्षक- डॉ. अरुण कुमार निषाद




राम शब्द का अर्थ है- राशब्द परिपूर्णता का बोधक है और परमेश्वर वाचक है । अर्थात् रमंति इति रामः जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्माण्ड में रमण करता है वही राम हैं ।

आधुनिक संस्कृत साहित्याकाश में डॉ.हर्षदेव माधव का नाम अपरिचित नहीं हैं । वे संस्कृत में नवोन्‍मेष के लिए जाने जाते हैं । इसी श्रृंखला में उन्होंने एक नया प्रयोग किया है । संत शिरोमणि पूज्यपाद मुरारीबापू की रामकथाओं का “वैश्विकी रामकथा” नाम से संस्कृत अनुवाद प्रकाशित कर । इस पुस्तक में बापू द्वारा विभिन्‍न स्थानों पर दिये गये प्रवचनों का अनुवाद है । इसे सूत्र शैली में पिरोने का कार्य भी डॉ.हर्षदेव माधव ने किया है । इस ग्रन्‍थ में मुरारी बापू द्वारा दिये गये 136 प्रवचनों का संस्कृतानुवाद है ।  इसका प्रथम संस्करण जनवरी 2021 ई. में प्रकाशित है।

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई

साधु संग बैठ बैठ लोकलाज खोई ॥

(मम तु गिरधर: गोपाल: नान्‍य: । साधुसङ्गतौ उपविश्य लोकलज्जा त्यक्ता ।)

जाके प्रिय राम बैदेही

तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम स्नेही ।

( यस्य सीतारामौ न प्रियो, कोटिशत्रुवत् त्याज्य:, यद्यपि स: परमस्नेही)

रामकथा को वैश्विक स्तर पर जो प्रतिष्ठा और लोकप्रियता मिली है वह इसकी मूल्यवत्ता को स्वतः सिद्ध करती है । विश्व-इतिहास और विश्व-साहित्य में राम के समान अन्य कोई पात्र कभी नहीं रहा । रामकथा की अपनी एक वैश्विक सत्ता है, अपनी एक अलग पहचान है । इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि  रामकथा मात्र एक कथा नहीं वरन् जीवन जीने की सार्वभौमिक शैली है । इसमें मानवीय पारिवारिक सम्बन्धों से लेकर जड़ एवं चेतन के पारस्परिक सम्बन्‍धों की भी समुचित व्याख्या की गई है । रामकथा की यह भी विशेषता है कि इस पृथ्वी का कोई ऐसा तत्व नहीं है जो प्राणिरूप में इसमें समावेशित नहीं किया गया हो ।

रामकथा और रामभारतीय संस्कृति और सभ्यता का बहुत सुन्दर पुञ्ज है । रामकाव्य विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम्की प्रेरणा देता है और राम का व्यक्तित्व और उनकी कथा इतनी सघन और व्यापक है कि उसमें सम्पूर्ण जीवन की गहराई और सूक्ष्मता, विस्तार और सौन्दर्य, संघर्ष और सत्य, यथार्थ और आदर्श विधि-विश्वास और प्रज्ञा आदि स्थितियों, चित्तवृत्तियों और भावभूमियों की अभिव्यक्ति के लिए विपुल आकाश है । आधुनिक युग में रामकथा विश्व के सभी प्राणियों के लिए ज्ञान और मूल्य का स्रोत रहेगी क्योंकि रामकाव्य में सभी प्राणियों के हित की बात है, जीवन-मूल्यों का सार है, राष्ट्र के प्रति प्रेम-भावना और त्याग है।  पूरे संसार का सुख और खुशी की भावना है । रामकथा मानवमन और मानवप्रज्ञाका प्रतिनिधित्व करती है । इसलिए यदि रामकथा को जीवन का महाकाव्य कहा जाये तो यह अतिशयोक्ति न होगी । रामकाव्य का प्रभाव भारत के जनमानस के साथ विश्व के सभी देशों पर पड़ा है । विदेशी भाषाओं में रामकथा और राम के स्वरूप की व्याख्या हुई है । रामकाव्य को विश्व के समग्र साहित्य में विशेष स्थान प्राप्त है और जनमानस के हृदय में राम का मर्यादा पुरुषोत्तम रूप और स्वरूप भी अमिट है । एशिया में रामकथा में राम का स्वरूप में सभी रचनाकारों ने अपनी-अपनी लेखनी और भावों की अपार आस्था से अभिव्यक्त कर शब्दों में लिखा है ।
श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि राम में कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन हुआ नहीं मिलता । सम्पूर्ण भारतीय समाज में राम का आदर्श रूप उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम के सभी भागों में स्वीकार किया गया है । भारत की हर एक भाषा की अपनी रामकथाएँ हैं । इसके उपरान्‍त भारत के बाहर के देशों-फिलीपाइंस, थाईलैण्ड, लाओस, मंगोलिया, साईबेरिया, मलेशिया, बर्मा अब म्यांमार, स्याम, इंडोनेशिया, जावा, सुमात्रा, कम्बोडिया, चीन, जापान, श्रीलंका, वियतनाम आदि में भी रामकथा प्रचलित है । बौद्ध, जैन और इस्लामी रामायण भी हैं ।

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा है-

राम तुम्हारा चरित्र  स्वयं ही काव्य है ।

कोई कवि बन जाए सहज संभाव्य है ॥ 

 

डॉ.हर्षदेव माधव इस नवीन प्रयोग के लिए बधाई के पात्र हैं । उनको साधुवाद । इस नई रचना के लिए अशेष मंगलकामनाएं ।

 

 

 

 

 

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