शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2017

भगवान शंकर (भोलेनाथ) के 108 रूपों के नाम और उनके अर्थ

भगवान शंकर (भोलेनाथ) के 108 रूपों के नाम और उनके अर्थ

1. शिव - कल्याण स्वरूप 2. महेश्वर - माया के अधीश्वर 3. शम्भू - आनंद स्स्वरूप वाले 4. पिनाकी - पिनाक धनुष धारण करने वाले 5. शशिशेखर - सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले 6. वामदेव - अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले 7. विरूपाक्ष - भौंडी आँख वाले 8. कपर्दी - जटाजूट धारण करने वाले 9. नीललोहित - नीले और लाल रंग वाले 10. शंकर - सबका कल्याण करने वाले 11. शूलपाणी - हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले 12. खटवांगी - खटिया का एक पाया रखने वाले 13. विष्णुवल्लभ - भगवान विष्णु के अतिप्रेमी 14. शिपिविष्ट - सितुहा में प्रवेश करने वाले 15. अंबिकानाथ - भगवति के पति 16. श्रीकण्ठ - सुंदर कण्ठ वाले 17. भक्तवत्सल - भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले 18. भव - संसार के रूप में प्रकट होने वाले 19. शर्व - कष्टों को नष्ट करने वाले 20. त्रिलोकेश - तीनों लोकों के स्वामी 21. शितिकण्ठ - सफेद कण्ठ वाले 22. शिवाप्रिय - पार्वती के प्रिय 23. उग्र - अत्यंत उग्र रूप वाले 24. कपाली - कपाल धारण करने वाले 25. कामारी - कामदेव के शत्रु 26. अंधकारसुरसूदन - अंधक दैत्य को मारने वाले 27. गंगाधर - गंगा जी को धारण करने वाले 28. ललाटाक्ष - ललाट में आँख वाले 29. कालकाल - काल के भी काल 30. कृपानिधि - करूणा की खान 31. भीम - भयंकर रूप वाले 32. परशुहस्त - हाथ में फरसा धारण करने वाले 33. मृगपाणी - हाथ में हिरण धारण करने वाले 34. जटाधर - जटा रखने वाले 35. कैलाशवासी - कैलाश के निवासी 36. कवची - कवच धारण करने वाले 37. कठोर - अत्यन्त मज़बूत देह वाले 38. त्रिपुरांतक - त्रिपुरासुर को मारने वाले 39. वृषांक - बैल के चिह्न वाली झंडा वाले 40. वृषभारूढ़ - बैल की सवारी वाले 41. भस्मोद्धूलितविग्रह - सारे शरीर में भस्म लगाने वाले 42. सामप्रिय - सामगान से प्रेम करने वाले 43. स्वरमयी - सातों स्वरों में निवास करने वाले 44. त्रयीमूर्ति - वेदरूपी विग्रह करने वाले 45. अनीश्वर - जिसका और कोई मालिक नहीं है 46. सर्वज्ञ - सब कुछ जानने वाले 47. परमात्मा - सबका अपना आपा 48. सोमसूर्याग्निलोचन - चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आँख वाले 49. हवि - आहूति रूपी द्रव्य वाले 50. यज्ञमय - यज्ञस्वरूप वाले 51. सोम - उमा के सहित रूप वाले 52. पंचवक्त्र - पांच मुख वाले 53. सदाशिव - नित्य कल्याण रूप वाले 54. विश्वेश्वर - सारे विश्व के ईश्वर 55. वीरभद्र - बहादुर होते हुए भी शांत रूप वाले 56. गणनाथ - गणों के स्वामी 57. प्रजापति - प्रजाओं का पालन करने वाले 58. हिरण्यरेता - स्वर्ण तेज वाले 59. दुर्धुर्ष - किसी से नहीं दबने वाले 60. गिरीश - पहाड़ों के मालिक 61. गिरिश - कैलाश पर्वत पर सोने वाले 62. अनघ - पापरहित 63. भुजंगभूषण - साँप के आभूषण वाले 64. भर्ग - पापों को भूंज देने वाले 65. गिरिधन्वा - मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले 66. गिरिप्रिय - पर्वत प्रेमी 67. कृत्तिवासा - गजचर्म पहनने वाले 68. पुराराति - पुरों का नाश करने वाले 69. भगवान् - सर्वसमर्थ षड्ऐश्वर्य संपन्न 70. प्रमथाधिप - प्रमथगणों के अधिपति 71. मृत्युंजय - मृत्यु को जीतने वाले 72. सूक्ष्मतनु - सूक्ष्म शरीर वाले 73. जगद्व्यापी - जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले 74. जगद्गुरु - जगत् के गुरु 75. व्योमकेश - आकाश रूपी बाल वाले 76. महासेनजनक - कार्तिकेय के पिता 77. चारुविक्रम - सुन्दर पराक्रम वाले 78. रूद्र - भक्तों के दुख देखकर रोने वाले 79. भूतपति - भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी 80. स्थाणु - स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले 81. अहिर्बुध्न्य - कुण्डलिनी को धारण करने वाले 82. दिगम्बर - नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले 83. अष्टमूर्ति - आठ रूप वाले 84. अनेकात्मा - अनेक रूप धारण करने वाले 85. सात्त्विक - सत्व गुण वाले 86. शुद्धविग्रह - शुद्धमूर्ति वाले 87. शाश्वत - नित्य रहने वाले 88. खण्डपरशु - टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले 89. अज - जन्म रहित 90. पाशविमोचन - बंधन से छुड़ाने वाले 91. मृड - सुखस्वरूप वाले 92. पशुपति - पशुओं के मालिक 93. देव - स्वयं प्रकाश रूप 94. महादेव - देवों के भी देव 95. अव्यय - खर्च होने पर भी न घटने वाले 96. हरि - विष्णुस्वरूप 97. पूषदन्तभित् - पूषा के दांत उखाड़ने वाले 98. अव्यग्र - कभी भी व्यथित न होने वाले 99. दक्षाध्वरहर - दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाले 100. हर - पापों व तापों को हरने वाले 101. भगनेत्रभिद् - भग देवता की आंख फोड़ने वाले 102. अव्यक्त - इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले 103. सहस्राक्ष - अनंत आँख वाले 104. सहस्रपाद - अनंत पैर वाले 105. अपवर्गप्रद - कैवल्य मोक्ष देने वाले 106. अनंत - देशकालवस्तुरूपी परिछेद से रहित 107. तारक - सबको तारने वाला 108. परमेश्वर - सबसे परे ईश्वभ |

सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

विभिन्न संस्थाओं के संस्कृत ध्येय वाक्य



भारत सरकार- - सत्यमेव जयते
लोक सभा- - धर्मचक्र प्रवर्तनाय
उच्चतम न्यायालय- - यतो धर्मस्ततो जयः
आल इंडिया रेडियो -सर्वजन हिताय सर्वजनसुखाय

दूरदर्शन - सत्यं शिवम् सुन्दरम
गोवा राज्य सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्।
भारतीय जीवन बीमा निगम- - योगक्षेमं वहाम्यहम्

डाक तार विभाग - अहर्निशं सेवामहे
श्रम मंत्रालय- - श्रम एव जयते
भारतीय सांख्यिकी संस्थान- - भिन्नेष्वेकस्य दर्शनम्

थल सेना- - सेवा अस्माकं धर्मः
वायु सेना- - नभःस्पृशं दीप्तम्
जल सेना- - शं नो वरुणः
मुंबई पुलिस- - सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय

हिंदी अकादमी - अहम् राष्ट्री संगमनी वसूनाम
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञानं अकादमी -हव्याभिर्भगः सवितुर्वरेण्यं
भारतीय प्रशासनिक सेवा अकादमी- - योगः कर्मसु कौशलं
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग- - ज्ञान-विज्ञानं विमुक्तये
-नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन - गुरुः गुरुतामो धामः
-गुरुकुल काङ्गडी विश्वविद्यालय-ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपाघ्नत
इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय - ज्योतिर्व्रणीततमसो विजानन
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय- : विद्ययाऽमृतमश्नुते
आन्ध्र विश्वविद्यालय- - तेजस्विनावधीतमस्तु

बंगाल अभियांत्रिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय,
शिवपुर- - उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत
गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय -आ
-नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः
संपूणानंद संस्कृत विश्वविद्यालय- - श्रुतं मे गोपय
श्री वैंकटेश्वर विश्वविद्यालय- - ज्ञानं सम्यग् वेक्षणम्
कालीकट विश्वविद्यालय- - निर्मय कर्मणा श्री
दिल्ली विश्वविद्यालय- - निष्ठा धृति: सत्यम्
केरल विश्वविद्यालय- - कर्मणि व्यज्यते प्रज्ञा
राजस्थान विश्वविद्यालय- - धर्मो विश्वस्यजगतः प्रतिष्ठा

पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय- - युक्तिहीने विचारे तु धर्महानि: प्रजायते
वनस्थली विद्यापीठ- सा विद्या या विमुक्तये।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्-विद्याsमृतमश्नुते।
केन्द्रीय विद्यालय- - तत् त्वं पूषन् अपावृणु
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड - असतो मा सद् गमय
-प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, त्रिवेन्द्रम - कर्मज्यायो हि अकर्मण:
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर -धियो यो नः प्रचोदयात्
गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पौड़ी -तमसो मा ज्योतिर्गमय
मदन मोहन मालवीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय,गोरखपुर- - योगः कर्मसु कौशलम्
भारतीय प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय, हैदराबाद- संगच्छध्वं संवदध्वम्
इंडिया विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय विधि विद्यालय- धर्मो रक्षति रक्षितः
संत स्टीफन महाविद्यालय, दिल्ली - सत्यमेव विजयते नानृतम्
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान- - शरीरमाद्यं खलुधर्मसाधनम्
विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर -योग: कर्मसु कौशलम्
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इलाहाबाद- - सिद्धिर्भवति कर्मजा
बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी -ज्ञानं परमं बलम्
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर - योगः कर्मसुकौशलम्
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई - ज्ञानं परमं ध्येयम्
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर -तमसो मा ज्योतिर्गमय
-भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई -सिद्धिर्भवति कर्मजा
-भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की - श्रमं विना नकिमपि साध्यम्
भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद -विद्या विनियोगाद्विकास:
भारतीय प्रबंधन संस्थान बंगलौर- - तेजस्वि नावधीतमस्तु
भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझीकोड - योगः कर्मसु कौशलम्
सेना ई एम ई कोर - कर्मह हि धर्मह
सेना राजपूताना राजफल- -- वीर भोग्या वसुन्धरा
सेना मेडिकल कोर- --सर्वे संतु निरामया ..
सेना शिक्षा कोर- -- विदैव बलम
सेना एयर डिफेन्स- -- आकाशेय शत्रुन जहि
सेना ग्रेनेडियर रेजिमेन्ट- -- सर्वदा शक्तिशालिं
सेना राजपूत बटालियन- -- सर्वत्र विजये
सेना डोगरा रेजिमेन्ट -- कर्तव्यम अन्वात्मा
सेना गढवाल रायफल- -- युद्धया कृत निश्चया
सेना कुमायू रेजिमेन्ट- -- पराक्रमो विजयते
सेना महार रेजिमेन्ट- -- यश सिद्धि
सेना जम्मू काश्मीर रायफल- - प्रस्थ रणवीरता
सेना कश्मीर लाइट इंफैन्ट्री- -- बलिदानं वीर लक्षयं
सेना इंजीनियर रेजिमेन्ट- - सर्वत्र
भारतीय तट रक्षक-वयम् रक्षामः
सैन्य विद्यालय -- युद्धं प्र्गायय
सैन्य अनुसंधान केंद्र- -- बालस्य मूलं विज्ञानम
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सिलसिला यहीं खतम नही होता,
विदेशी भी हमारे कायल हैं-- देखिये

नेपाल सरकार- - जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
इंडोनेशिया-जलसेना - जलेष्वेव जयामहेअसेह राज्य (इंडोनेशिया) -
पञ्चचित
कोलंबो विश्वविद्यालय- (श्रीलंका) - बुद्धि: सर्वत्र भ्राजते
मोराटुवा विश्वविद्यालय (श्रीलंका) - विद्यैव सर्वधनम्
पेरादेनिया विश्वविद्यालय - सर्वस्य लोचनशास्त्रम्

रविवार, 12 फ़रवरी 2017

आधुनिक संस्कृतसाहित्ये डॉ.(श्रीमती) मीरा द्विवेदी योगदनम्

आधुनिक संस्कृतसाहित्ये डॉ.(श्रीमती) मीरा द्विवेदी योगदनम्   
अरुण कुमार निषाद
शोधछात्र
संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ |

समकालिक-संस्कृत-साहित्य-प्रसंगे समर्थ-सर्जकस्य डॉ. (श्रीमती) मीरा द्विवेदी उत्तरप्रदेशस्य जालौनजनपदे हुसेरापुरासमीपस्थिते टीहर नामके ग्रामे चतु:षष्ट्यधिकैकोनविंशतिशततमे वर्षे अक्तूबर मासस्य पञ्चदशदिनाड़्के (15.10.1964 ई.) अजायत | अस्या: पिता वैद्य श्री प्रयाग नारायणदीक्षित: माता च श्रीमती चन्द्रप्रभा | वृन्दावने मानवसेवासंघ-बालमंदिरे अस्या: प्रारम्भिकी शिक्षा, तत: तत्रैव बालिका माध्यमिकविद्यालये अधीत्य इयं माध्यमिक शिक्षापरिषद: हाईस्कूल परीक्षां प्रथमश्रेण्यां समुदतरत् | तदनन्तरं राजस्थानस्य वनस्थलीविद्यापीठे अन्तेवासिनी भूत्वा श्रीमती द्विवेदी संस्कृते स्नातकोत्तरोपाधिं पी-एच.डी. इति शोधोपाधिं च लब्धवती | अथच इयं तत्रैव प्राचीनपद्धत्या अधीत्य शास्त्रि- आचार्योपाधिमपि अलभत |
अध्ययनं परिसमाप्य डॉ. मीरा द्विवेदी तत्रैव वनस्थली विद्यापीठे द्वाविंशतिवर्षाणि अध्यापितवती | तस्मिन्नवधौ च तत्र व्याख्याता-प्रवाचक-विभागाध्यक्षपदानि अलंकृतवती | सम्प्रति दशाधिकद्विसहस्रतमाब्दात् दिल्ली विश्वविद्यालयस्य संस्कृत विभागे सहाचार्य नियुक्ता सती संस्कृतमध्यापयति |
डॉ. (श्रीमती) मीरा द्विवेदी समये-समये विविधपुरस्कारै: सम्मानैश्च सभाजिता | यथा- उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानस्य संस्कृत साहित्य विशेष पुरस्कारम्, दिल्ली संस्कृत अकादमी प्रदत्तं नाट्यलेखन पुरस्कारम्, विक्रम कालिदास पुरस्कारं चेयं प्राप्तवती |
डॉ. द्विवेदी द्वारा प्रणीतानि, सम्पादितानि नैकानि पुस्तकानि सन्ति प्रकाशितानि यथा- आधुनिक संस्कृत महिला नाटककार, शब्द संवाद, चिन्तनालोक, चन्द्रापीड कथा, संस्कृतनाट्यनिर्झरम्, अभिनवचिन्तनम्, काश्मीरक्रन्दनम् | अस्या: बहूनि शोधपत्राणि प्रकाशितानि | एवञ्चेयं द्विवेदी विभिन्नसंस्थासु संस्कृत साहित्यविषये व्याख्या द्वारा आकाशवाणीदूरदर्शनमाध्यमेन च सततं संस्कृतसाहित्यस्य संवर्धने तस्य प्रचार प्रसारे निरता सती सारस्वत साधनां करोति |