शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

आधुनिक भारत में भाषा की दुर्दशा

. वर्तमान समय हम अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं । हम पाश्चत्य सभ्यता और संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे हैं । यह एक चिंतनीय विषय है । हम अँग्रेजी को एक भाषा के रूप में न पढ़कर एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ रहे हैं । देश के लिए इससे अधिक शर्म की बात और क्या होगी की हम अपनी भाषा का अपने ही घर में उपहास कर रहे हैं । लोग मानसिक  शान्ति के लिए भारतीय वेद का  अध्ययन करने देश -विदेश से चले आ रहे हैं और हम अपनी भाषा को उपेक्षित कर रहे हैं।  

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