सोमवार, 20 जुलाई 2015

गीतगोविन्द

गीतगोविन्द
संस्कृत के महान पंडित एवं संगीतज्ञ पं. जयदेव ने इस अमर कृति की रचना १२ वीं शताब्दी में की थी. उनका जन्म बंगाल के केंडला नामक स्थान में हुआ था. उनकी पत्नी का नाम विद्यावती था जो पुरी. उड़ीसा की रहने वाली थीं. उ के पद भाव.रस और लालित्य में उच्च कोटि के हैं. उनके गीतों में मथुरा- वृन्दावन की झाँकी और राधाकृष्ण की प्रेम -लीला का विशद वर्णन मिलता है.जब श्रीकृष्ण गोकुल से मथुरा चले जाते हैं तो गोप-गोपियाँ और राधा उनकी विरह से परेशान हो जाती हैं.उनके गीत राधा को कृष्ण की और कृष्ण को राधा की मन:स्थितं का ज्ञान कराती हैं. जयदेव का सम्पूर्ण जीवन कृष्णमय था.
विद्यापति और चण्डीदास जैसे कवि जयदेव के गीतों से बड़े प्रभावित थे. राजाशिव सिंह ने विद्यापति को 'अभिनव जयदेव' की उपाधि से विभूषित किया था. कुछ विदेशी विद्वान भी इनके पदों से बहुत प्रभावित हु़ए.सर एडविन अनल्डि ने इसका अंग्रेजी अनुवाद किया.और उसका नाम The Song of Song अर्थात् भारतीय गीतों का गीत रखा. अंग्रेजी के अतिरिक्त इसका अनुवाद लैटिन और फ्रेंच भाषा में भी हो चुका है.